2014 से पहले आए शरणार्थी को 2020 तक नागरिकता मिल जाएगी

पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बंग्लादेश से आने वाले गैर मुस्लिम शरणार्थियों के लिए भारत में नागरिकता का रास्ता तैयार होने लगा है। विधेयक पेश किए जाने से लेकर इसे पारित किए जाने तक विपक्ष के घोर विरोध के बीच भाजपा व सहयोगी दलों के साथ साथ कुछ गैर राजग दलों ने भी इसे बड़े बहुमत से पारित करा लिया। संभवत: बुधवार को इसे राज्यसभा से भी पारित कराने की कोशिश होगी


अमित शाह ने विपक्ष की इस आशंका को भी खारिज कर दिया कि विधेयक संविधान के अनुच्छेद 14 के खिलाफ है, जिसमें नागरिकों के बीच भेदभाव नहीं करने का प्रावधान है। उन्होंने उदाहरण देकर बताया कि किस तरह 1971 में विशेष परिस्थितियों में बांग्लादेश से आने वाले शरणार्थियों को शरण दी गई थी और बाद में यूगांडा और श्रीलंका संकट के दौरान भी ऐसा ही किया गया था


उन्होंने कहा कि यदि उस समय अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं हुआ तो अब विपक्ष किस आधार पर आरोप लगा रहा है। शाह ने साफ किया कि तीनों देश मुस्लिम राष्ट्र हैं और इस नाते वह वहां अल्पसंख्यक नहीं हैं इसीलिए उन्हें नागरिकता नहीं दी जा सकती है। बल्कि शाह ने आरोप लगाया कि अगर कांग्रेस धर्म के आधार पर देश का विभाजन स्वीकार नहीं करती तो यह विधेयक लाने की जरूरत ही नहीं पड़ती। शाह ने विस्तार से यह भी बताया कि इन देशों में गैर मुस्लिम अल्पंसख्यकों के साथ बहुत भेदभाव हुआ, उन्हें प्रताड़ित किया गया। ऐसे में उन्हें शरण देना हमारा कर्तव्य है। उन्होंने कुछ उद्धहरण भी पेश किए


शाह ने भरोसा दिया कि इस विधेयक के तहत इन शरणार्थियों की नागरिकता उसी दिन से मानी जाएगी जिस तारीख से भारत में आए हैं। उन्होंने कहा कि उनके पास राशनकार्ड हो या नहीं, गृहमंत्री होने के नाते उन्हें नागरिकता देने का भरोसा देते हैं। इस आधार पर आवेदन खारिज नहीं होगा कि उसके खिलाफ कार्रवाई चल रही है। 2014 से पहले आए शरणार्थी को 2020 तक नागरिकता मिल जाएगी।


विधेयक के पीछे राजनीतिक एजेंडे के विपक्षी दलों के आरोपों का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि यह एक लंबी राजनीतिक प्रक्रिया का हिस्सा है। किसी भी दल का घोषणापत्र, सिर्फ राजनीतिक एजेंडा नहीं, बल्कि जनता की आक्षांकाओं का प्रतिनिधित्व होता है। उन्होंने बताया कि भाजपा ने 2014 और 2019 के अपने घोषणापत्र में साफ कर दिया था कि पड़ोसी देशों से आने वाले अल्पसंख्यकों को नागरिकता देगी। इस घोषणापत्र के आधार पर ही जनादेश मिला है।


 


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